5 Easy Facts About Shodashi Described

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Tripura Sundari's variety is not only a visual illustration but a map to spiritual enlightenment, guiding devotees via symbols to be aware of further cosmic truths.

बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।

Shodashi’s mantra enhances devotion and religion, encouraging devotees create a further relationship to the divine. This reward instills trust inside the divine procedure, guiding individuals by problems with grace, resilience, and a sense of goal in their spiritual journey.

वन्दे तामहमक्षय्यां क्षकाराक्षररूपिणीम् ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१२॥

चक्रेऽन्तर्दश-कोणकेऽति-विमले नाम्ना च रक्षा-करे ।

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

षट्पुण्डरीकनिलयां षडाननसुतामिमाम् ।

This Sadhna evokes countless positive aspects for all spherical financial prosperity and balance. Expansion of company, identify and fame, blesses with prolonged and prosperous married lifestyle (Shodashi Mahavidya). The outcome are realised promptly following the accomplishment from the Sadhna.

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

कर्त्री लोकस्य लीलाविलसितविधिना कारयित्री क्रियाणां

वन्दे तामष्टवर्गोत्थमहासिद्ध्यादिकेश्वरीम् ॥११॥

Away get more info from curiosity why her father didn't invite her, Sati went on the ceremony even though God Shiva experimented with warning her.

श्रीमत्सिंहासनेशी प्रदिशतु विपुलां कीर्तिमानन्दरूपा ॥१६॥

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